सिविल सेवा भर्ती में बदलाव
देश की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवाओं में अधिकतम उम्र सीमा, परीक्षा के विषय, माध्यम और कितनी बार अभ्यार्थी परीक्षा दे सकता है, इन सभी मामलों पर गठित बी.एस बा सवान समिति की जो सिफारिशें छनकर बाहर आ रही हैं उनसे एक उम्मीद बनती है. संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के लिए अगस्त 2016 [...]
धूर्तता के पाठयक्रम
हाल की सिर्फ दो खबरों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्यों दुनिया भर में हमारे शिक्षा संस्थान फिसड्डी होते जा रहे हैं और क्यों अंधविश्वास, कूपमडूकता और दैवीय चमत्कारों की बाढ़ आ रही है। एक खवर यह है कि मध्य प्रदेश में अब ज्योतिष, वास्तु और पुरोहितों की शिक्षा शुरू होने वाली है। एक [...]
प्रोफेसर यशपाल: विज्ञान और समाज के पु...
प्रोफसर यशपाल (26.11.1926 – 25/07/2017) को सच्चे मायने में जन वैज्ञानिक कहा जा सकता है। यानि आम आदमी की भाषा में विज्ञान को समझने, समझाने के लिए जीवन पर्यन्त प्रयत्नशील। उनका मानना था कि जिस बात को आप आम आदमी को नहीं समझा नहीं सकते वह विज्ञान अधूरा है। इतना ही नहीं उन्हें आम आदमी की समझ –बूझ पर भी बहुत भ [...]
पठनीयता की लय
पिछले दो दशक में हिन्दी परिदृश्य में कथा साहित्य के मुकाबले गद्य की दूसरी विधाएं ज्यादा रूचि और आनंद के साथ पढ़ी जा रही हैं। किसी वक्त इंडिया टुडे, जनसत्ता के दीपावली, नववर्ष साहित्य विशाशंको की पूरे वर्ष चर्चा रहती थी और तैयारी भी इतनी लंबी। अब सब भूल चुके हैं .इसकी जगह ली है ससमरण, साक [...]
ओबीसी क्रीमी लेयर _ढोल की पोल (Sanmar...
ओबीसी के संदर्भ में देश-विख्यात ‘क्रीमीलेअर’ में सरकार ने मामूली सा बदलाव किया है लेकिन उसे इस रूप में गाया-बजाया जा रहा है जैसे कोई सामाजिक क्रांति सरकार ने कर दी हो। मात्र इतना सा फैसला है- जो सीमा अभी तक 6 लाख थी,उसे बढ़ाकर 8 लाख कर दिया गया है। और स्पष्ट शब्दों में कहें तो केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित 27 फीसदी पद [...]
हिन्दी पखवाड़े का प्रहसन
देश के कोने कोने में समझी, गीतों में गुनगुनाने वाली हिन्दी भाषा साहित्य की स्थिति उतनी दयनीय नहीं है जितनी दीनता से प्रचारित की जा रही है। मेरे सामने बैठी है एक मेधावी छात्रा- सिविल सेवा परीक्षा की उम्मीदवार। उसे शेर से उतना डर नहीं है, जितना टपके से। यानी यूपीएससी की परीक्षा अंग्रेजी में देने वाली को हिन्दी म [...]
रेल: काया कल्प का इंतज़ार
यकीन मानिए रेल मंत्रालय में पिछले दो बरस से एक कायाकल्प समिति भी काम कर रही है जिससे प्रशिद्ध उद्योगपति रतन टाटा भी जुड़े हुए हैं .इस बात के लिए तो पिछले तीन साल जरुर याद किये जायेंगे इतनी ताबड़तोड़ समितिया , इतने बड़े बड़े नामों-काकोडकर ,विनोद राय ,विवेकदेव राय,श्रीधरण आदि के साथ कभी गठित नहीं हुई .कोई हर्जा नहीं बशर्ते उनकी सिफारशों पर कम हो .ल [...]
शिक्षा जगत की चीर-फाड़ (Book Review)
शिक्षा आधुनिक सभ्यता का सबसे महत्वपूर्ण शब्द है। हो भी क्यों न। इसी शब्द के वूते मानव सभ्यता यहां तक पुहंची है। शब्द, बोली, भाषा, हस्तलिपि से लेकर आधुनिक छापाखाना, अखवार, पत्रिका, पुस्तकें, इंटरनेट किंडिल सब शिक्षा के ही कॉमन उपादान हैं। इसके बाद आती है विचार, सिद्धांत जैसी प्रक्रिया की बातें िक शिक्षा को कैसे प्रभावी बनाया जाए, [...]
PP Sharma Interview – दैनिक जाग...
प्रश्न 1. आप रेलवे से जुड़े रहे हैं, फिर साहित्य की ओर किस तरह मुड़े?
उत्तर: साहित्य से पहले जुड़ा हूँ, रेलवे से बाद में। बी.एस.सी के कॉलिज के दिनों में ही साहित्य से जुड़ाव शुरू हो गया था। उन दिनों जितना विज्ञान पढ़ा होगा, साहित्य उससे कम नहीं। प्रेमचंद, शरत, धर्मयुग, दिनमान सभी कुछ। एकाध कहानियां भी लिखीं। जयप्रकाश आन्दोलन ने भी खूब [...]
बाबा साहब अम्बेडकर: साझी विरासत
मुझे अफसोस है कि मैंने बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर को बहुत देर से जाना। देर से तो मैंने महात्मा गांधी को भी पढ़ा लेकिन बाबा साहेब को उसके भी बाद। क्यों ? कारण उस स्कूली व्यवस्था, शिक्षा में ज्यादा है। मेरी कॉलिज की नियमित पढ़ाई वर्ष 1975 में खुर्जा उत्तर प्रदेश के एक कॉलिज में बी.एस.सी तक हुई। स्कूली पाठयक्रम में एक किताब थी- ‘हमार [...]
विज्ञान और उसकी शिक्षा : नयी शुरुआत
पता नहीं क्यों मेरे दिमाग में ऐसी किताब की ललक वर्षों से थीं। हो सकता है यह ललक भी एकलव्य जैसी संस्थाओं के विभिन्न प्रकाशनों, पत्रिकाओं ने धीरे- धीरे निर्मित की हो। उन वैज्ञानिक जीवन गाथाओं का भी मैं अहसान मानता हूं जो कच्ची उम्र में विशेषकर आपको रास्ता दिखाती है। चार्ल्स डार्विन, मेंडल, आइनस्टाइन, जगदीश वसु, मेघनाथ साहा से लेकर लीलाव [...]
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