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प्रेमचंद की परम्परा
हिंदी उपन्यास सम्राट प्रेमचंद अपने लेखन और सरोकारों के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य के पर्याय बन चुके हैं । अपने समय में भी सबसे ज्यादा पढ़े जाते थे और आज भी । उन्हीं की शुरू की गई पत्रिका ‘हंस’ का भी वैसा ही सम्मान रहा है । प्रेमचंद के समय में भी और 1986 से राजेन्द्र यादव के संपादन में भी । राजेन्द्र यादव ने 1986 में अपने सीमित साधनों से [...]
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