
Posts by
गाँधी और उनके आलोचक
गाँधी, दुनिया के उन बिरले लोगों में हैं जिन पर सबसे ज्यादा जीवनियाँ लिखी गयी हैं। एक अनुमान के अनुसार करीब दो सौ जिनमें आधे से ज्यादा दुनियाभर के प्रतिष्ठित लेखकों, पत्रकारों द्वारा लिखी गयी हैं। हिन्दुस्तान में यह सम्मान अन्य किसी को प्राप्त नहीं है। लेकिन एक अन्तर है। जहाँ विदेशी जीवनियों का स्वर थोड़ी-बहुत नुक्ताचीनी के साथ इस आस्था के आस-प [...]
बच्चों की पढ़ाई का ग्...
मौजूदा समाज सभ्यता को परस्पर प्रतिस्पर्धा और उससे सीखने –सीखाने ने ही यहां तक पहुंचाया है। सारी प्रगति, विकास इसी से आयी है। इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में ग्लोबल गांव की परिकल्पना के अनुरूप वर्ष 2000 में दुनिया भर के बच्चों के लिए पीसा (प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असैसमेंन्ट) परीक्षा [...]
सरकारी स्कूल-सरकारी कर्मचारी
खबर सुनने में तो बहुत अच्छी है कि कर्नाटक सरकार अपने सभी सरकारी कर्मचारियों को केवल सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का फरमान जारी करने वाली है। यह एक वर्ष पुरानी उस समिति की सिफारिशों के आधार पर करने की योजना है जिसमें सरकारी स्कूलों को सुधारने का सबसे मजबूत उपाय यही बताया था कि जो कर्मचारी सरकारी कोश से तनख्वाह लेते [...]
करूणानिधि: अपनी भाषा का पक्षधर
एम करूणानिधि (1924-2018) जैसे तमिल राजनेताओं को उत्तर भारत में हिन्दी विरोधी के रूप में चित्रित किया जाता है। यह सरासर गलत व्याख्या है और राष्ट्रीय एकता के भी खिलाफ। दरअसल वे ऐसे राजनेता थे जो तमिल के पक्ष में कहीं ज्यादा ईमानदारी से जीवन पर्यन्त लड़ते रहे। मुझे व्यक्तिगत अनुभव ह [...]
भारतीय भाषाओं का भविष्य
यदि केन्द्र की बीजेपी सरकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध की एकाध बात मानती है तो उसे हाल ही में प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय स्तर पर तुरंत अमल में लाने की जरूरत है कि ‘प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या अन्य किसी भारतीय भाषा में हो। प्रस्ताव में यह भी मांग की गयी है क [...]
शिक्षा का स्वपन | पुस्तक समीक...
पंजाबी के मशहूर कवि अवतार सिह पाश की कविता ‘सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना ‘शायद उत्तर भारत में पिछले तीन-चार दशक की सबसे प्रिय कविता रही होगी। कृष्ण कुमार के शिक्षा विषयक छोटे छोटे निबंधों को पढ़ते हुए वरवस मुझे उन सपनों की याद आयी जो कृष्ण कुमार के यहां मुकम्मिल जिंदा है और बार-बार हिन्दी अंग्रेज [...]
पुस्तक मेला- बढ़ते उत्...
लो जी फिर आ गया पुस्तक मेला !पिछले तीन बरस वर्ष से हर साल जनवरी में। पिछले कई वर्ष के चित्र दिमाग में छितरा रहे हैं। सर्दियों की गुनगुनी धूप में सुबह ग्यारह-बारह बजे प्रगति मैदान में प्रवेश करती भीड़। ज्यादतर बच्चे, स्कूल, कॉलिज के छात्र नौजवान । छुट्टी का दिन हो तो और दस बीस गुना ज्यादा। लेकिन [...]
लोकतंत्र और नैतिकता उर्फ नैतिकता का त...
मशहूर कथा पत्रिका हंस ने 31 जुलाई 2018 को होने वाली अपने वार्षिक व्याख्यान माल’ विमर्ष का विषय चुना है लोकतंत्र की नैतिकता उर्फ नैतिकता का लोकतंत्र। हंस एक बड़ी बौद्धिक विरासत का नाम है। प्रेमचंद से शुरू होकर राजेन्द्र यादव तक। हर पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ लेखक, विद्धान इसके पृष्ठों पर शिरकत करते रहे [...]
सिविल सेवाओं/नौकरशाही में सुधार ̵...
आलोचना-समालोचना लोकतंत्र का मौलिक अधिकार है। लेकिन यदि संस्थाएं, व्यक्ति या मीडिया हर समय एक पूर्वाग्रह से ग्रसित रहे तो उल्टा इन्हीं के शब्दों पर संदेह होने लगता है। ताजा मामला केन्द्र सरकार द्वारा देश की उच्चतर नौकरशाही में सिविल सेवा परीक्षा से चयनित अधिकारियों के विभागों के आवंटन, उन [...]
नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ का स्...
केन्द्र सरकार के ताजा निर्णय ने भारतीय नौकरशाही में खलवली मचा दी है। निर्णय है सरकार के संयुक्त सचिव स्तर के पदोंपर बाहर से भी प्रतिभाओं उर्फ लेटरल एंट्री की नियुक्ति के दरवाजे खोलना। हजारों पद हैं केन्द्र की लगभग पच्चीस केन्द्रीय सेवाओं में। जाहिर है भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, विदेश सेव [...]
संस्थानों का निर्माण/विश्व वि...
इलाहाबाद,गोरखपुर विस्वविधालय में हाल में हुई प्रोफेसर ,सहायक प्रोफेसर की भर्ती पर बवाल मचा हुआ है.भयानक बेरोजगारी के चलते सरकार,आयोगों के हर काम को शक से देखा जाता है .सिर्फ संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठा पारदर्शिता, ईमानदारी, समयबद्धता की कसौटी देश भर में अतुल्य है। राज्यों के आयोग तो दशकों से लेट लतीफी, भ्रष् [...]
जनेयू: कुछ तो गड़बड है. कुछ अनुत्तरित...
जनेयू कैम्पस शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा। ताजा विवाद कक्षा में उपस्थिति को लेकर है जिसके खिलाफ धरने, प्रदर्शन जारी हैं। बार-बार कोर्ट को भी जनेयू में हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। कुछ जरूरी मगर ज्यादातर गैर जरूरी मुद्दों के उभरने से हताश राजनीति की भी गंद आती है। जो लड़ाईयां सड़क और संसद पर लड़ी जानी चाहिए, राजनीतिक द [...]
Recent Comments