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भारतीय वैज्ञानिक: रोशन सितारे

Sep 03, 2012 ~ Leave a Comment ~ Written by Prempal Sharma

विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने विशेषकर बच्चोंी को खेल-खेल में विज्ञान की दुनिया में लाने के लिये अरविन्दह गुप्ताच का काम अद्वितीय है । अरविन्द गुप्ताब जैसे समर्पित विज्ञान लेखकों ने विज्ञान को कठिन, बोझिल मानने की रूढि़ को तोड़ा है । बचपन की स्मृञतियों, स्कू,ल के दिनों को हम याद करें तो विज्ञान, गणित के नाम से ही शिक्षक, मॉं-बाप या समाज एक भय पैदा करता था । परीक्षा के मापदंडों पर कम नम्बवर पाने वाला यदि साइंस की तरफ अपनी रुचि के लिये जाना भी चाहता था तो उसकी मजाक उड़ाई जाती थी । यह तस्वीनर आज भी नहीं बदली । यही कारण है कि नम्बंरों की होड़ और मेहनत के बावजूद भी हमारी कई पीढियां दूसरे देशों के मुकाबले कोई मौलिक योगदान विज्ञान के क्षेत्र में नहीं कर पायीं ।

भय सचमुच मौलिकता को डस लेता है । अरविन्द गुप्ता की नयी किताब ‘रोशन सितारे’ प्रेरक भारतीय वैज्ञानिक इसीलिये ज्याकदा महत्वबपूर्ण है कि इसमें ऐसे चालीस भारतीय वैज्ञानिकों के जीवन, शिक्षा और काम को बहुत सहज, कम शब्दोंप में एक रोचक कहानी के अंदाज में प्रस्तु त किया है । सचमुच बड़ा लेखक वही होता है जो बड़ी बात को इतने सरल शब्दोंप में कह देता है । प्रेमचंद, शरतचंद से लेकर जयंत नर्लीकर, अरविन्दप गुप्ताे, सुबोध मेहन्ती उसी कड़ी का नाम हैं ।

पुस्तकक की निर्माण प्रक्रिया भी गौरतलब, अनुकरणीय है । भारतीय राष्ट्री य विज्ञान अकादमी के अध्यमक्ष एम. विजयन बच्चों के लिये विज्ञान पर लोकप्रिय पुस्त क चाहते थे । विज्ञान-प्रसार के लिये अरविन्द गुप्ताक को इन्दिरा गांधी पुरस्काकर देते वक्त उन्होंथने अरविन्द का व्यालख्याबन सुना । इनके काम से बहुत प्रभावित हुए । अरविन्दर को अनुरोध किया और प्रख्यानत वैज्ञानिक जयंत नर्लीकर, माधव गाडगिल, टी. पदमनाभन की एक सलाहकार समिति भी बनायी जो इस पुस्तंक निर्माण में मदद करे । बस हो गया एक ऐतिहासिक काम । मूल अंग्रेजी में नाम ‘ब्राइट स्पामर्क्स। इन्सभपायरिंग इंडियन सांइटिस्टिस, फ्राम द पास्टत’ हिंदी में चमकते सितारे । जैव भौतिकी अध्येिता कैरॉल हेडॉक के बेजोड़ चित्रों और प्रस्तुगति के साथ । पुस्ताक में जगदीश चंद्र वसु, सी.वी. रामन, बीरबल साहनी, मेघनाथ साहा, सलीम अली, साराभाई, लारी बेकर, अनिल अग्रवाल समेत चालीस वैज्ञानिक शामिल हैं । खास बात है इसमें तीन महिला इरावती कर्वे, अन्नाू मणि, और कमला सोहोनी का होना है । सिर्फ तीन महिलायें क्योंअ ? वकौल पुस्तूक की भूमिका- ‘कमला सोहोनी बम्ब ई विश्वाविद्यालय में प्रथम आई थीं । इसके बावजूद नोबल पुरस्कातर विजेता सी.वी. रामन ने उन्हेंत दाखिला देने से इन्कासर किया : ‘मैं अपनी संस्थाि में किसी भी लड़की को नहीं लूँगा ।’ जब कमला ने रामन के दफ्तर में धरना दिया तब रामन थोड़ा नरम पड़े । आखिर में उन्होंसने कमला को दाखिला तो दिया परन्तुर एक ‘विशेष’ छात्रा के रूप में । बाद में कमला ने एक शोधकर्ता के रूप में अपनी साख जमाई और केम्ब्रिज से पी.एच.डी. हासिल की । शुरूआत में महिला वैज्ञानिकों को विज्ञान के पुरुष-प्रधान क्षेत्र में अपने पैर जमाने के लिए बहुत मेहनत-मशक्केत करनी पड़ी । उनके संघर्षों और कुर्बानियों से भावी पीढि़यों के लिए रास्तां प्रशस्तक हुआ । आज स्थिति पहले से निश्चित ही बेहतर है । एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान भारत में चार में से एक वैज्ञानिक महिला है । यह सचमुच हर्ष का विषय है । हाल ही में 100 भारतीय महिला वैज्ञानिकों के जीवन और अनुभवों को समेटती हुई एक महत्वापूर्ण पुस्तहक ‘लीलावतीज डॉटर्स’ भारतीय राष्ट्री य विज्ञान अकादमी ने प्रकाशित की है ।
अगली बार जब कोई ऐसी पुस्ताक लिखेगा तो अरविन्दि गुप्ताट भी उसमें निश्चित रूप से शामिल किये जाएंगे । उन्होंतने भी विज्ञान और इसके प्रचार-प्रसार के लिए कम काम नहीं किया । अरविन्दे गुप्तास ने 1975 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थांन आई.आई.टी. कानपुर से बी.टेक की डिग्री हासिल की । चन्दभ साल नौकरी करने के बाद वे विज्ञान के प्रचार-प्रसार में लग गए । वर्तमान में वे पुणे में स्थित आयुका मुक्तांईगन बाल विज्ञान केन्द्र में काम करते हैं । अरविन्द् गुप्तां भारत में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और खिलौने बनाने के लिए मशहूर हैं । उन्हों्ने भारत और विदेशों में ‘कबाड़ से जुगाड़’ विधि से वैज्ञानिक मॉडल बनाने की हजारों कार्यशालाएं आयोजित की हैं । वे लेखन और अनुवाद भी करते हैं । उनकी लोकप्रिय वेबसाइटarvindguptatoys.com पर खिलौनों और पुस्तॉकों का एक विशाल भण्डाइर है । अपने काम के लिए उन्हेंं कई पुरस्काभर मिल चुके हैं, जिनमें बच्चोंा में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार का सर्वप्रथम राष्ट्री य पुरस्कािर (1988) और आई.आई.टी., कानपुर का डिस्टिंगुइश्डि एलुम्न्स अवॉर्ड (2000) शामिल हैं ।
हर शिक्षक, छात्र और मॉं-बाप के लिये बहुत जरूरी किताब । शीघ्र ही दूसरी भारतीय भाषाओं में उपलब्धं होगी ।

पुस्तक : रोशन सितारे प्रेरक भारतीय विज्ञान हिंदी :
Bright sparks Inspiring Indian Scientists

लेखक : अरविन्द गुप्ताए
प्रकाशक :
एकलव्य, ई-10, शंकर नगर
बीडीए कॉलोनी, शिवाजी नगर,
भोपाल, मध्यक प्रदेश- 462016
wwweklavya.in

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Prempal Sharma

प्रेमपाल शर्मा

जन्म:
15 अक्टूबर 1956, बुलन्द शहर (गॉंव-दीघी) उत्तर प्रदेश

रचनाएँ:
कहानी संग्रह (4)
लेख संग्रह (7)
शिक्षा (6)
उपन्यास (1)
कविता (1)
व्यंग्य (1)
अनुवाद (1)


पुरस्कार/सम्मान :
इफको सम्मान, हिन्दी अकादमी पुरस्कार (2005), इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार (2015)

संपर्क:
96 , कला कला विहार अपार्टमेंट्स, मयूर विहार फेस -I, दिल्ली 110091

दूरभाष:
011 -22744596
9971399046

ईमेल :
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